देव श्रीमाली,GWALIOR. केंद्रीय योजनाओं के समीक्षा के लिए बनी दिशा समिति की ग्वालियर में हुई बैठक हुई। जिसमें निगम आयुक्त से लेकर पीएचई ओर कांग्रेस के विधायकों के बीच तीखी नोंकझोंक हुई। बैठक ग्वालियर के सांसद विवेक शेजवलकर की अध्यक्षता में हुई। जिसमें जिले के विकास कार्यों पर पुराने कामों की समीक्षा की जानी थी। लेकिन अमृत योजना को लेकर विधायक प्रवीण पाठक ने जमकर निगम के अफसरों को आड़े हाथ लिया। प्रवीण पाठक ने कहा 4 महीने बाद ये बैठक हो रही है, फिर भी वही पुराने निर्देश उनको दोहराने पड़े, क्योंकि नगर निगम के अफसरों ने सांसद के निर्देशों को न सुना न माना।
पाठक बोले ये घोटाले की कैसी जांच जिसमें फरियादी के बयान ही नहीं हुए
कांग्रेस विधायक प्रवीण पाठक ने अमृत के कार्यों को लेकर और सड़कों का रेस्टोरेशन न होने पर अफसरों को कटघरे में खड़ा कर दिया और कहा कि अफसर फाइलों में कुछ और दिखाते हैं, जबकि हकीकत कुछ और होती है। बैठक में हंगामा भी हुआ, कलेक्टर को सांसद और विधायकों के बीच तीखी बहस को शांत कराना पड़ा। पाठक ने कहा दिशा की पिछली बैठक में तय हुआ था कि अमृत योजना के काम गुणवत्ता वाले नहीं हो रहे। उनमे भ्रष्टाचार हो रहा है इनकी जांच कराई जाए। इसकी जांच कराने को कहा गया। आज जब पूछा तो बताया गया कि जांच हो गई। पाठक बोले, ये कैसी जांच है जिसमें फरियादी का बयान ही नहीं हुआ ,उससे पूछा ही नहीं गया ? खुद ने खुद की जांच करके क्लीन चिट दे दी।
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अफसरों की बनाई योजनाओं में खामियां
कलेक्ट्रेट के सभाकक्ष में आयोजित बैठक में केंद्र सरकार की संचालित कई जनकल्याणकारी और महत्वपूर्ण योजनाओं की समीक्षा की गई। बैठक में विधायक प्रवीण पाठक, महापौर सतीश सिकरवार कलेक्टर कौशलेन्द्र विक्रम सिंह, निगमायुक्त किशोर कान्याल, सीईओ जिला पंचायत आशीष तिवारी समेत समिति के सदस्य और विभागीय अधिकारी उपस्थित थे। विधायक प्रवीण पाठक का कहना है कि सबसे ज्यादा तकलीफ इस बात की है कि ग्वालियर का प्रशासन जिस तरह दशा और दिशा बदलने के लिए जो योजना बना रहा है उसमें बहुत ज्यादा खामियां हैं।
अफसरों को नहीं विधायक को देना होता है जवाब
बैठक के बाद पाठक ने कहा कि विधायक तो 5 साल का होता है। पांच साल बाद जनता पूछ लेती है कि बताओं आपने क्या किया। प्रशासन का क्या है कलेक्टर अभी ग्वालियर कलेक्टर हैं, कल भोपाल के होंगे उसके बाद इंदौर के कलेक्टर होंगे। ग्वालियर की चिंता हमें करनी पड़ेगी। वहीं सांसद विवेक शेजवलकर भी निगम ओर प्रशासन के अफसरों के जबाब से असतुंष्ट नजर आए।